कला इतिहास कलुष का नाश ही है दुर्गापूजा का उद्देश्य शारदीय नवरात्र को देश के विभिन्न भागों में दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। वैसे देखें तो ईश्वर को माता या नारी के …
अजितानन्द की कलम से विजय सिंह : मूर्त-अमूर्त और अध्यात्म का समीकरण Posted onOctober 15, 2020October 26, 2020 अपने अजित दूबे जी की विशेष पहचान यूँ तो एक छापा कलाकार व प्राध्यापक की रही है, किन्तु यहाँ वे उपस्थित हैं अजितानन्द के रूप …
बातें किताबों की एक कलाकार की यायावरी से उपजे शब्द-चित्र Posted onOctober 11, 2020October 26, 2020 “लेखनी की भाँति ही तूलिका और छिन्नी भी घुमक्कड़ी के संपर्क से चमक उठती है। तूलिका को घुमक्कड़ी कितना चमका सकती है, इसका एक उदाहरण …
समकालीन कलाकार कला का वैविध्य और मधुकर मुंडे Posted onOctober 11, 2020October 26, 2020 छापा कलाकारों की बात करें तो ऐसा देखा जाता रहा है कि अक्सर इनमें से ज्यादातर तकनीक और संयोजन के किसी खास दायरे तक सिमट …
समकालीन कलाकार अमूर्तन की गुत्थी और विवेक निम्बोलकर। Posted onOctober 11, 2020October 26, 2020 अमूर्त या अरूप चित्रों को देखते हुए आम दर्शकों की एक सामान्य प्रतिक्रिया रहती है कि कुछ समझ में नहीं आ रहा है। हालांकि …
बातें किताबों की कला की दुनिया प्रयाग शुक्ल की नजर से Posted onOctober 11, 2020October 26, 2020 अगर आप भी प्रचलित अवधारणाओं को मान लेने में विश्वास रखते हों तो कह सकते हैं कि हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं में कला- लेखन …
समकालीन कलाकार एक बहुआयामी व्यक्तित्व विपिन कुमार Posted onOctober 11, 2020October 26, 2020 कला महाविद्यालय से लेकर अबतक यानी विगत तीन दशकों से अधिक समय से जिनका साथ बना रहा है, उन्हीं में से एक हैं अपने विपिन …
कला इतिहास कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना और अशोक स्तम्भ का रिश्ता Posted onOctober 11, 2020October 26, 2020 हम जानते हैं कि हमारा राष्ट्रीय प्रतीक उस अशोक स्तम्भ का शीर्ष है, जो सारनाथ में अवस्थित था। वर्ष 1904-5 में जर्मन मूल के पेशे …